वर्ष 2023 मार्च माह में हुई बेमौसम की बारिश और ओलावृष्टि से सांचौर जिले की रानीवाड़ा, सांचौर व चितलवाना तहसील के गांवों में फसलें जमींदोज हो गई थी। इस आपदा से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए राजस्थान सरकार ने जालोर जिले के 292 गांवों को अभावग्रस्त घोषित कर दिया था। इसके साथ ही, प्रभावित किसानों को कृषि अनुदान भुगतान करने की भी अनुमति दी गई थी।
कृषि आदान-अनुदान भुगतान में देरी
हालांकि, इस भुगतान में अब तक देरी हो रही है। अतिरिक्त जिला कलेक्टर जालोर ने जिला कलेक्टर सांचौर को पत्र लिखकर बताया है कि रानीवाड़ा, सांचौर व चितलवाना तहसील के गांवों के काश्तकारों का शत-प्रतिशत विवरण अभी तक पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है। जबकि, जिला कलेक्टर द्वारा तीन बार जिला कलेक्टर सांचौर को पत्र भेजकर ओलावृष्टि से प्रभावित काश्तकारों का 7डी रिपोर्ट का विवरण डीएमआईएस पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे।
सांचौर जिले के विभिन्न तहसील कार्यालयों में वर्षों से राजनैतिक सरंक्षण से जमे अधिकारियों एवं कार्मिकों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। यही कारण है कि किसानों का विवरण पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जा रहा है। इससे प्रभावित किसानों को कृषि आदान-अनुदान की राशि से वंचित होना पड़ रहा है।
पूर्व में भी हुआ है ऐसा
यह पहली बार नहीं है जब सांचौर जिले के किसानों को कृषि आदान-अनुदान से वंचित किया जा रहा है। वर्ष 2021 में भी सूखे से प्रभावित किसानों का विवरण पोर्टल पर अपलोड नहीं होने के कारण जिलेभर के 71634 किसान कृषि आदान-अनुदान की राशि से वंचित हो गए थे। इस मामले का खुलासा खुद आपदा प्रबंधन विभाग ने विधानसभा सत्र के दौरान विधायक जोगेश्वर गर्ग के सवाल पर किया था।