Right to Health Bill Rajasthan News : राजस्थान विधानसभा में स्वास्थ्य को लेकर एक अहम बिल पास हुआ है. ये बिल राज्य के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार देता है. पर इस बिल का विरोध भी शुरू हो गया है.
राज्य के डॉक्टरों ने बिल के विरोध में हड़ताल शुरू कर दी है. हफ्तेभर से डॉक्टर सड़कों पर हैं. इस बिल के खिलाफ राजस्थान के डॉक्टरों को अब बाकी शहरों के डॉक्टरों का साथ भी मिल रहा है. मुंबई के निजी डॉक्टरों का कहना है कि ये बिल ‘गलत आइडिया’ है और ये डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने से ‘डिमोटिवेट’ करेगा.
Right to Health Bill : इस बिल के खिलाफ मुंबई के डॉक्टर भी सोमवार को कैंडल मार्च निकाल रहे हैं. बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ. गौतम भंसाली ने कहा, ‘हम सभी मरीजों को फ्री में इलाज कैसे दे सकते हैं. इन्फ्रास्ट्रक्चर में पैसा खर्च होता है. जांच में पैसा खर्च होता है. डॉक्टरों और स्टाफ की सैलरी में पैसा खर्च होता है. और अगर हम फ्री इलाज देंगे तो सैलरी के लिए पैसा कहां से लाएंगे.’
इसी बीच, राजस्थान सरकार के इस बिल का विरोध अब तक तो निजी डॉक्टर कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें सरकारी डॉक्टरों का भी साथ मिल गया है. ये डॉक्टर ‘राइट टू हेल्थ बिल’ को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं.
पर ऐसा है क्या Right to Health बिल में?
– राजस्थान विधानसभा में ये बिल 21 मार्च को पास हो चुका है. गजट नोटिफिकेशन जारी होते ही ये कानून बन जाएगा.
– इस बिल में राज्य में रह रहे सभी लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार दिया गया है. बिल में प्रावधान है कि कोई भी अस्पताल या डॉक्टर मरीज को इलाज के लिए मना नहीं कर सकता.
– बिल में प्रावधान है कि इमरजेंसी में आए मरीज को कोई भी अस्पताल या डॉक्टर इलाज के लिए मना नहीं कर सकता. ऐसी स्थिति में मरीज का पहला इलाज किया जाएगा.
– ये बिल अगर कानून बनता है तो अस्पताल आने पर मरीज को बगैर कोई डिपॉजिट किए ही इलाज मिल सकेगा. अब तक ऐसा होता है कि जब तक मरीज के परिजनों से और फीस नहीं दी जाती है तब तक इलाज शुरू नहीं होता है, लेकिन कानून के बाद डॉक्टर इसके लिए मना नहीं कर सकेंगे.

किस पर लागू होगा ये कानून?
– राजस्थान सरकार का ये कानून न सिर्फ सरकारी अस्पतालों, बल्कि निजी अस्पतालों पर भी लागू होगा. इतना ही नहीं, किसी भी तरह के हेल्थ केयर सेंटर पर भी लागू होगा.
तो फिर फीस कौन देगा?
– बिल में जैसा कि प्रावधान किया गया है कि कोई भी अस्पताल या डॉक्टर मरीज को फ्री में इलाज मुहैया कराएगा. इसके लिए मरीज या उसके परिजनों से पहले कोई फीस नहीं ली जाएगी.
– इलाज के बाद ही मरीज और उसके परिजनों से फीस ली जा सकती है. लेकिन अगर मरीज फीस देने में असमर्थ होगा तो फिर बकाया फीस सरकार चुकाएगी या फिर मरीज को किसी और दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देगी.
इलाज करने से मना करने पर क्या होगा?
– इस बिल में प्रावधान किया गया है कि कोई भी अस्पताल या डॉक्टर फीस न देने पर मरीज का इलाज करने से मना नहीं कर सकता.
– लेकिन अगर ऐसा होता है तो पहली बार में 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. दूसरी बार भी ऐसा ही होता है तो 25 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा.
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