Rajasthan Election 2023 : प्रदेश में विधानसभा चुनाव नतीजे आने से पूर्व ही कांग्रेस और भाजपा ने स्थितियों का आंकलन कर आगामी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में सरकार कौन बनाएगा, इसका पता तो तीन दिसंबर को मतगणना होने पर ही चल पाएगा, लेकिन किसी भी विशेष परिस्थिति में सरकार बनती या गिरती दिखाई दी तो इसके लिए दोनों पार्टी के दिग्गज अभी से ही जोड़-तोड़ की राजनीति में जुट गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक चुनाव परिणाम में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर निदर्लीयों को साधने के अलावा तीसरे मोर्चा के जिताऊ उम्मीदवार से भी संपर्क किया जा रहा है। वहीं भाजपा और कांग्रेस जीत को लेकर अपने-अपने दावे भी कर रही है। दोनों पार्टियों के आला नेता पूरे बहूमत से सरकार बनाने की बात कह रहे हैं। इसके लिए पार्टियों के आला नेताओं के बीच विचार-विमर्श शुरू हो गया है। इसमें संभावित परीणाम का आंकलन कर सरकार बनाने की रणनीति तय की जा रही है।
सीटों की गणित को लेकर भी नेताओं के बीच चर्चा का दौर चल रहा है और इसी के आधार पर आगे की योजना तैयार की जा रही है। कांग्रेस सरकार में वापसी के लिए तो भाजपा सत्ता प्राप्ति के लिए जद्दोजहद में जुटी हुई है। दोनों पार्टियों के नेताओं की ओर से प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने का दावा कितना और किसका सच होता है ये चुनाव परिणाम आने के बाद देखना रोचक रहेगा।
सीएम और डोटासरा दिल्ली में
चुनाव सम्पन्न होने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा एक साथ दिल्ली गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दिल्ली में इस बारे में पार्टी के बड़े नेताओं के साथ चर्चा कर सकते हैं। उनका कार्यक्रम दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल होने का है। वहीं दूसरी ओर माना ये जा रहा है कि दोनों नेता प्रदेश के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर आला नेताओं से चर्चा कर सकतेहैं।
भाजपा में शुरू हुई दिग्गजों की बैठक
सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त भाजपा के नेता भी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह भी दिल्ली का दौरा कर चुकेहैं। इसके अलावा स्थानीय नेतृत्व के साथ भी लगातार जुड़े हुए हैं।
जिताऊ सीटों पर फोकस
सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी 199 सीटों पर हुए चुनाव में से उन सीटों का फीडबैक ले रही है, जिन पर उसकी जीत निश्चित मानी जा रही है। इसके बाद उन सीटों पर नजर रखी जा रही है, जहां निर्दलीय प्रत्याशियों के जीतने की संभावनाएं अधिक है। इसमें कांग्रेस के बागियों को अपने पक्ष में रखना तो आसान होगा।
लेकिन बहुमत का आंकड़ा पाने की स्थिति में यदि निर्दलीयों की आवश्यकता होती है तो भाजपा के बागियों से कैसे बात की जाए, इस पर चर्चा हो सकती है। हालांकि कांग्रेस की ओर से मतगणना से पूर्व किसी भी तरह की बाड़ेबंदी किए जाने से इंकार किया जा रहा है, लेकिन माना जा रहा है कि नतीजे आने के बाद आवश्यकता होने पर इसका इंतजाम किया जा सकता है।