
Mitti Ke Ganesh Ji : गणेश चतुर्थी का त्योहार आते ही हर घर में गणेश मूर्ति की स्थापना की जाती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए उनके पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। गणेश मूर्ति स्थापना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे विधि-विधान से करना चाहिए।
गणेश जी कौन सी मिट्टी से बनते हैं?
गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए गंगा या अन्य पवित्र नदियों की मिट्टी का उपयोग किया जाता है। मिट्टी को ढाई से साढ़े तीन इंच गहरा खोदकर अंदर से निकाला जाता है। मिट्टी को छानकर, शुद्ध जल मिलाकर, आटे जैसा गूंथ लिया जाता है। फिर उस मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है।
मिट्टी की मूर्ति प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति से भारी होती है क्योंकि मिट्टी की मूर्ति के अंदर चारा और मिट्टी भरी होती है।
गणेश जी को लाल गुड़हल का फूल विशेष रूप से प्रिय होता है। इसके अलावा चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला बनाकर पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
मिट्टी के गणेश जी बनाने के लिए, आप इन चरणों का पालन कर सकते हैं:
- 200 ग्राम बारीक पिसी हुई चॉक मिट्टी या मुल्तानी मिट्टी को तीन घंटे पानी में भिगो दें।
- लगभग 100 ग्राम रद्दी कागज को पानी में आठ घंटे गलाएं।
- फूली हुई मिट्टी और गले हुए कागज को मिलाकर आटे की तरह गूंदें।
- तब तक गूंदें जब तक मिट्टी हाथ से चिपकना बंद न कर दें।
- मिट्टी को गंगा या अन्य पवित्र नदियों से ली गई मिट्टी से बदला जा सकता है।
- आप चंदन, आटा, हल्दी और दुर्वा से भी गणेश जी की मूर्ति बना सकते हैं।
- आप मूर्तिकारों से मिट्टी भी खरीद सकते हैं।
वास्तु के अनुसार, ललितासन यानी बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति सबसे अच्छी मानी जाती है।
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गणेश जी की शुभ मूर्ति कौन सी होती है?
वास्तु के अनुसार, गणेश जी की मूर्तियां जो ललितासन या बैठी हुई मुद्रा में हैं, वे सबसे अच्छी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मूर्ति को घर लाने से सुख-समृद्धि और शांति आती है।
गणेश जी की मूर्ति की सूंड बाएं हाथ की ओर होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसी मूर्ति से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणपति की सफेद तस्वीर या मूर्ति रखने से परिवार में धन और समृद्धि आती है।
गणेश जी की मूर्ति का मुख कभी भी दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं और भगवान शिव उत्तर दिशा में निवास करते हैं। इसलिए, गणपति की मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
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